HP High Court: पर्याप्त धन राशि होने पर भी विज्ञान भवन नहीं बनाने पर हिमाचल हाईकोर्ट सख्त, निर्माण रिपोर्ट तलब

लाइव रेडन्यूज़ नेटवर्क हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्याप्त धन राशि के बावजूद जांगला स्कूल का विज्ञान भवन नहीं बनाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने भवन निर्माण की ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और बीसी नेगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 11 अक्तूबर को निर्धारित की है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि भवन के निर्माण स्थल के लिए सड़क का निर्माण कार्य 10 दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा।

इसके बाद ही निर्माण सामग्री निर्माण स्थल पर पहुंच सकती है। भवन निर्माण का मुख्य कार्य उसके बाद शुरू किया जाएगा। जांगला स्कूल में विज्ञान भवन न बनाए जाने पर कानून की छात्रा अस्मिता ने जनहित में याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि चिड़गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल जांगला में विज्ञान भवन बनाने के लिए 2.8 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत की गई है। अभी तक इस भवन का निर्माण नहीं किया गया है।

स्कूल के लिए विज्ञान भवन जैसी सुविधाओं के अभाव के चलते छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे पहले अदालत ने पर्याप्त धन राशि के बावजूद परियोजनाओं का निर्माण न करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कड़े प्रावधान बनाने के आदेश दिए थे। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व महाधिवक्ता श्रवण डोगरा को इस जनहित मामले की पैरवी के लिए कोर्ट मित्र नियुक्त किया है।

अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह निजी तौर पर इस मामले को देखे ताकि ठेकेदारों की वजह से किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य न रूके। अदालत को बताया गया था कि लापरवाह ठेकेदार से निविदा राशि का दो फीसदी जब्त किया जाता है। जबकि अदालत ने कहा था कि दो फीसदी जब्त किया जाना बहुत ही कम है। समय पर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार को ऐसे प्रावधानों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।


गरनी खड्ड में खनन मामले पर उपायुक्त ऊना से जवाब तलब
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नदियों और खड्डों से अवैध खनन के मामले में कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने उपायुक्त ऊना को आदेश दिए हैं कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि गरनी खड्ड के किनारे स्थापित क्रशर कितना दूर है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 13 सितंबर को निर्धारित की है। जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के बाद अदालत ने यह आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अवैध खनन के कारण ऊना स्थित गरनी खड्ड का पानी सूख रहा है।

समय- समय पर पारित आदेशों की अनुपालना में अदालत को बताया गया कि प्रदेश भर में 44,400 हेक्टेयर क्षेत्र में से सिर्फ 2,350 हेक्टेयर को खनन के लिए स्वीकृत किया गया है। अदालत ने उपायुक्त ऊना को आदेश दिए हैं कि स्वां नदी के किनारे दिए गए खनन क्षेत्र की दूरी से भी अदालत को अवगत करवाएं। वर्ष 2017 में दायर इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव ने अदालत को बताया था कि नदियों के किनारों से खनन किए जाने के लिए पहले लीज पर दिया जाता था। इससे अवैज्ञानिक तरीके से खनन होने लगा। अवैध और अवैज्ञानिक खनन को रोकने के लिए अब नीलामी के जरिये चिन्हित स्थान को खनन के लिए दिया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *