
लाइव रेडन्यूज़ नेटवर्क मौसम की मार से हिमाचल की 6,000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट गहरा गया है। बगीचों में पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं। जिसके चलते बागवानों को समय से पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। आकार और रंग न सुधरने के कारण बागवानों को मंडियों में फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे। हिमाचल में करीब साढ़े तीन लाख परिवार सेब आर्थिकी से जुड़े हैं। प्रदेश में 7,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले बगीचों में सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। 15 सितंबर के बाद जहां फसल टूटनी थी, वहां क्वालिटी न बनने के कारण बागवानों को निर्धारित समय से करीब दो हफ्ते पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। इस साल सीजन की शुरूआत से ही सेब की फसल मौसम की मार से प्रभावित है। सर्दियों में बर्फबारी कम होने के बाद असमय भारी बारिश से सेब की फसल को नुकसान हुआ है। इस साल प्रदेश में सामान्य के मुकाबले करीब 35 फीसदी ही फसल है उस पर बीमारियों ने बागवानों की कमर तोड़ दी है। आढ़तियों का कहना है कि मंडियों में पहुंच रही फसल की गुणवत्ता सही नहीं है इसलिए दामों में गिरावट आ रही है। संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चौहान का कहना है कि मौसम की मार से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश के लाखों लोगों की आर्थिकी संकट में आ गई है। सेब उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है और पैदावार घट रही है। सरकार को समय रहते गंभीर और प्रभावशाली कदम उठाने होंगे। बीमारियों की चपेट में 70 फीसदी फसल इस सीजन में अधिक बारिश और धूप न खिलने से बगीचे पतझड़ सहित अन्य बीमारियों की चपेट में आए हैं। मौसम की मार से 70 फीसदी तक फसल प्रभावित हुई है। रही सही कसर स्प्रे की दवाइयां बेचने वालों ने पूरी की। अपने मुनाफे के लिए बागवानों को गुमराह कर गलत दवाओं का इस्तेमाल करवाया। - डॉ. विजय सिंह ठाकुर, पूर्व कुलपति, नौणी विश्वविद्यालय 20 साल बाद फसल को भारी नुकसान करीब 20 साल सेब की फसल को मौसम की मार से इतना व्यापक नुकसान हुआ है। मार्च में फ्लावरिंग और सेटिंग, इसके बाद भारी बारिश से नमी के कारण बीमारियां पनपीं, सूरज की रोशनी न मिलने से आकार नहीं बढ़ा और पतझड़ से फसल को सबसे अधिक मार पड़ी। 7,000 फीस से अधिक ऊंचाई के कुछ इलाकों में 80 फीसदी तो कहीं 50 फीसदी फसल प्रभावित है। - डॉ. ऊषा शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र